रूद्रपुर (देवरिया) : सरकार अपने अधिकारियों को भारी भरकम वेतन एवं भत्ता देती है किंतु कुछ अधिकारी ऐसे है जो रातों रात करोड़पति बनने का सपना देखते है अनैतिक तरीके से धन उपार्जन ही उनका मुख्य लक्ष्य होता है इन्हे अपने छेत्र समाज की जनता का कोई चिंता नही रहती है। न्याय तो आम जनता के लिए सपना की संपत्ति बन चुकी है। आम जनता के बारे में थोड़ा भी सोचने के लिए इन्हे फुर्सत नहीं होता और कोई नही। आप के रूद्रपुर के तहसीलदार सबसे सर्वोपरी है कुछ दिन भाटपाररानी तहसील में समय बिताए वहा पर भी इन्होंने अपने कृत्यो से वादियों और प्रतिवादियों को अवगत करा दिया कि न्याय कैसे की जाती है। वर्तमान मे रूद्रपुर तहसील मे कार्यरत है यहाँ पर इनके आवास पर दो रायफलधारी रात दिन पहरा देते है यदि कोई आगंतुक तहसीलदार से मिलने आता है तो पहरेदारों द्वारा टपाक से कहा जाता है कि साहब आवास पर किसी से नही मिलते इस जवाब पर आगंतुक को उल्टे पाँव वापस जाना पड़ता है यह कार्य तो अच्छा करते है यह कोई बुरी बात नही है किंतु वादी प्रतिवादी से स्वय उनके घर गाँव पर पहुँच कर मिलते है और हल्के के लेखपाल के सहयोग से भारी भरकम सौदा होता है। इसी क्रम में तहसील रूद्रपुर के अंतर्गत मौजा देवकली पहुँचकर कमलेश आदि से सौदा तय हो जाने के बाद जाली एवं फ़र्ज़ी वसीयत के मामले मे जालकर्मियों को साहब महोदय ने अभयदान दे दिया । फ़र्ज़ी व जाली वसीयत से विवादित भूमि का कुछ अंश का बैनामा करवा कर उसका दाखिल खारिज का आदेश भी पारित कर दिया गया। और क्रेता विक्रेता दोनों को पूर्ण रूप से राहत मिल गई। और लेखपाल और तहसीलदार की मंशा भी पूरी हो गयी। ग्यताब्य हो की वाद संख्या R०S०T/4054/2024 कमलेश आदि बनाम विंध्याचल मौजा देवकली का जाली एवं फ़र्ज़ी वसीयत का विवाद बहुत दिनों से तहसीलदार रूद्रपुर के न्यायालय में चल रहा था। इस मामले मे पूर्व तहसीलदार द्वारा विवादित भूमि पर स्थगन आदेश भी जारी किया गया था। मंशा पूर्ण होने के पश्चात तहसीलदार साहब ने फ़र्ज़ी वसीयत कर्मियों के बचाव में स्थगन आदेश और कायमी प्रार्थनापत्र को कानून को ताख पर रखते हुए खारिज किया गया। इस आदेश के विरुद्ध उपजिलाधिकारी महोदय के यहाँ एक अपील दाखिल की गई है और धारा 144 के तहत बात विचाराधीन है जो कायमि के दाखिला के पूर्व से है तथा एक बाद धारा 145 के अंतर्गत मणिकांत बनाम कमलेश आदि भी विचाराधीन है। स्थानीय पुलिस और तहसील दोनों के जिम्मेदार अधिकारियों की तालमेल से कार्यवाही धीरे धीरे चल रही है लगता हैं कि स्थानीय थाने की पुलिस और तहसील के जिम्मेदार अधिकारी फतेहपुर के टोला लेहड़ा जैसा कांड करवा कर ही दम लेंगे। यह जिला के उच्चाधिकारी गण जरा भी लापरवाही बरती तो कभी भी किसी भी वक्त नरसंहार से अन्य कोई बचा नही सकता।
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