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मन्दिर की भूमि पर अतिक्रमण शीघ्र हटवाया जाए।_(2)

सिवान(बिहार): ज्ञात हो की मन्दिर की मूर्तियों को कई बार चोरी से उठवा लिया गया तथा अन्य सामान जिसकी कीमत नही लगाई जा सकती वह भी चुरवा लिया गया संत महात्मा एक जगह स्थाई रूप से नही रह सकता उसे भी आम जनो के पास आना जाना पड़ता है अगर ऐसा ना किया जाए तो मन्दिर का हित संभव नहीं है मन्दिर के हित में कही भी किसी समय मन्दिर के पुजारी कर्मचारी को आना जाना आवश्यक है इसी का लाभ उठा कर इन लोगो ने ऐसा कर्म निरंतर करते रहते है इनकी मंशा जाहिर होती है कि न कोई पुजारी रहे न संत रहे और न मन्दिर के महंत रहे इसलिए अनेको प्रकार से मन्दिर के संत महंत पुजारी कर्मचारी आदि को प्रताड़ित किया जाता हैं यहाँ तक की मन्दिर के पास आवश्यक्ता के लिए भूमि कम नही है हर समस्या का समाधान ठाकुर जी के भूमि से पूरा किया जा सकता हैं किंतु सब कुछ रहते हुए गाँव जवार छेत्र में आवश्यक आवाश्यकताओ के लिए याचना करने हेतु निरंतर आना जाना पड़ता हैं। इसी के दौरान मन्दिर में कुछ न कुछ घटना घटित हो जाती हैं सबसे बड़ी बात तो यह है कि मन्दिर के बगल में महंत के इजाजत अथवा सहमति के बिना एक विद्यालय का निर्माण कराया गया है न तो महंत को उक्त भूमि की क्षतिपूर्ति की गयी है और न तो सहमति ली गई है यह सारा कार्य कथित यादव परिवार के द्वारा मनमाने ढंग से किया गया है अथवा कराया गया है यह सारा कार्य गैर कानूनी है मन्दिर के नाम वृत्ति में प्राप्त भूमियों का ब्योरा नीचे दिया जा रहा है संबंधित अधिकारी कर्मचारी उक्त भूमियों का मौके पर खोज कर के उन्हे चिन्हित करे तथा संभावना है की सरकारी कागजातो के संबंध में दर्ज अभिलेखों के साथ छेड़ छाड़ भी किया कराया गया है इस कार्य में गाँव का अन्य कोई किसी दूसरे का हाथ नही बल्कि इन्ही यादव परिवार का ही है यह जग जाहिर है श्री ठाकुर जी महाराज के सामने पोखरा स्थित है जिसके चारो तरफ फागुन माह के त्रयोदशी ( तेरस) को प्राचीन काल से मेला लगता था जिसमे दूर दूर के व्यापारी तथा दुकानदारो का आगमन होता था जिससे श्री ठाकुर जी महाराज के मन्दिर का विकास होता था साथ ही साथ पोखरे में कमल का फूल शोभा बढ़ाता था और उसके पत्ते छेत्र जवार के लोग आवश्यकता पड़ने पर काटकर ले जाते थे और उससेे उसका कुछ कीमत दक्षिणा के रूप में मन्दिर को देते थे चाहे वह गरीब हो अमीर हो सभी के सभी लाभान्वित होते थे ऐसी स्थिति में यादव परिवार ने भैसों को पोखरे में डालकर कमल के फूलों का विनाश कर दिया अर्थात् जड़ मूल को नष्ट कर आम जनता तथा श्री ठाकुर जी महाराज के आय के श्रोतों को तहस नहस कर दिया यहाँ के संत महंत राक्षसी प्रवृत्ति से तंग आकर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से मांग कर रहे है की ऐसी आपदा में एक संगठित जाँच दल का गठन कर श्री ठाकुर जी महाराज के मन्दिर का जीर्णोध्दार हो सके। श्री ठाकुर जी राघव जी साकीन चकरा मठ का जमीन वकास्त विर्त थाना न० 163।

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