सिवान (बिहार) : जनपद के अंतर्गत चकरा गाँव में ठाकुर जी महाराज का मंदीर स्थित है मंदीर के दर्शननार्थियो के स्नान करने हेतु एक प्राचीन पोखरा का निर्माण मंदीर के महंत द्वारा कराया गया है उक्त पोखरे में गन्दगी फैलाने वाले लोग पोखरे के भीटा एक योजनाबध तौर पर अतिक्रमण करके पोखरे मे गन्दगी फैला रहे है अतिक्रमणकारियो के कृत्य से गाँव जवार की जनता में रोष व्याप्त है बताया जाता हैं मंदीर के गेट के सामने यादव परिवार के लोग अतिक्रमण कर मंदीर की शोभा को हानि पहुँचा रहे है तथा यादव परिवार के लोगों को संगठित कर मंदीर की खेती की जाने वाली भूमियों को भी अवैध रूप से कब्जा कर लिए है पता चलता है यदि कोई उनके कृत्यो के संबंध में पूछताछ करता है तो तुरंत उत्तर मिलता है कि हम लोगो के रिश्तेदार अवध बिहारी यादव ( मंत्री जी) है हम लोगो का कोई कुछ बिगाड़ नही पाएगा सिर्फ इतना ही नहीं चकरा निवासी मृतक लालजी यादव के परिवार वाले अर्थात पुत्रो द्वारा ऐसा कर्म किया जा रहा है जो कदापि हिंदू लोग नही कर सकते ये लोग जिस प्रकार विश्वामित्र के यज्ञ को मारीच सुबाहो ताडुका द्वारा जिस प्रकार विध्वंस किया जा रहा था उससे कही मठ मंदीर की संपतियों को लूटने मंदीर की मर्यादा को तहस नहस करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं अर्थात मंदीर की मर्यादा को भ्रष्ट कर देना चाहते है मंदीर की बॉउंडरी के अंदर पशुओ के गोबर से दीवाल पर उपला पाथते है पशुओ के गोबर का ढेर लगाते है अपने फसलों का पुआल भी मंदीर के अंदर ही गाजते है कोई संत महात्मा इन लोगो के कृत्यो से उब्ब कर मंदीर से भाग जाता हैं कोई पुजारी भी वहा रहने के लिए तैयार नहीं होता है। इन लोगो के द्वारा अनेको प्रकार के उत्पात से छुब्द होकर चकरा मठ के महंत द्वारा इक्कीस दिनों तक भूख हड़ताल किया गया था कई थाना के एस०एच०ओ व पुलिस अधिकारी तथा अनेक प्रतिनिधि वहा उपस्थित हुए थे उक्त ग्राम सभा के मुखिया को निर्देशित किया गया था मठ की संपतियों की सुरक्षा व्यवस्था और संतो के रहने और उनके जान माल के संबंध में उचित सुरक्षा की जिम्मेदारी सौपी गई थी किंतु मुखिया ने हर जिम्मेदारी से अपने को अलग कर लिया तथा मठ की भूमि को को भी अवैध रूप से स्वयं कब्जा कर लिया सिर्फ इतना ही नही मंदीर के अगल बगल अनेको पेड़ लगाए गए थे इनकी संख्या लगभग चालिश पैतालिश थी उन पेड़ों को लालजी के पुत्रो व मुखिया परिवार के लोगो ने कटवा बेच खा गए जिसकी कीमत लाखों रुपये से कम नही बल्कि अधिक होगी ठाकुर जी के नाम से तथा चंद्रशेखर दास के नाम पर जो भूमि थी वह जमींदारों द्वारा वृत्ति के रूप में दी गई थी भगवान के नाम पर अर्पित संपति को उपर वर्णित व्यक्तियों के गिरोह द्वारा निगला जा रहा है क्या बिहार सरकार मे कोई है जो धर्मस्थल तथा संबंधित संपतियों की सुरक्षा हेतु उचित कदम उठा सकता हैं क्रमशः
मंदीर की भूमि पर अतिक्रमण शीघ्र हटाया जाए
RELATED ARTICLES